(क) भारत के संविधान और अन्य कानूनी उपबंधों के अधीन विद्यमान ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोक सभा, राज्य विधान सभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने की जांच करना और सिफारिश करना तथा उस प्रयोजन के लिए संविधान, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और तद्धीन बनाए गए नियमों तथा किसी अन्य विधि या नियमों, जिनमें साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने के प्रयोजन के लिए संशोधनों की अपेक्षा होगी, उसकी जांच करना और विशिष्ट संशोधन करने के लिए सिफारिश करना;
(ख) यदि संविधान के संशोधन राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की अपेक्षा करते हों तो उसकी जांच और सिफारिश करना;
(ग) त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव को अंगीकार करने या दल-बदल या ऐसी किसी अन्य घटना के कारण साथ- साथ निर्वाचनों के परिदृश्य में संभव समाधान के लिए विश्लेषण और सिफारिश करना;
(घ) निर्वाचनों को साथ-साथ करने के लिए एक फ्रेमवर्क का सुझाव देना और विशिष्टतया, यदि उन्हें साथ-साथ आयोजित नहीं किया जा सकता है, तो चरणों और समय-सीमा, जिसमें निर्वाचनों को साथ-साथ आयोजित किया जा सकता है, का सुझाव देना और संविधान और अन्य विधियों में इस संबंध में किन्हीं संशोधनों का भी सुझाव देना तथा ऐसे नियमों का प्रस्ताव करना, जो ऐसी परिस्थितियों में अपेक्षित हों;
(ङ) साथ-साथ निर्वाचनों के चक्र की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों की सिफारिश करना और संविधान में आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करना, जिससे साथ-साथ निर्वाचनों का चक्र बाधित न हो;
(च) इस प्रकार, साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने के लिए, अपेक्षित लॉजिस्टिक और जनशक्ति की जांच करना, जिसके अंतर्गत ईवीएम, वीवीपीएटी आदि सम्मिलित हैं;
(छ) लोक सभा, राज्य विधान सभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के निर्वाचनों के लिए मतदाताओं की पहचान करने के लिए एकल निर्वाचक नामावली और निर्वाचक पहचान-पत्रों के उपयोग की जांच करना और उसके तरीकों की सिफारिश करना।